नव यौवन अभिरामा..

कि आरे, नव यौवन अभिरामा !
जत दखल तत कहहि न पारिअ छलो, अनुपम एक ठामा !१!

हरिन इन्दु अरविन्द करनी हेम पिक बुझल अनुमानी !
नयन बयन परिमल गति तनुरुची ओ गति सुललित बानी !२!

कुचजुग उपर चिकुर फूजी पसरल ना अरुझाएल हारा !
जनि रे सुमेरु ऊपर मिली उगल चाँद विहीन सबे तारा !३!

लोल कपोल लुलित मणि - मुंडल अधर बिम्ब अध् जाई !
भजहु भमर नासापुट सुन्दर से देखि कीर लजाई !४!

भनहिं विद्यापति से वर नागर आन न पाबए कोई !
कंस दलन नारायण सुन्दर तसु रंगीनि पए होई !५!

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लोचन धाय फोघायल हरि नहिं आयल रे....

लोचन धाय फोघायल हरि नहिं आयल रे !
सिव-सिव जिव नहिं जाय आस अरुझायल रे !१!

मन कर तहाँ उडि जाइ जहाँ हरि पाइअ रे !
पेम-परसमनि-पानि आनि उर लाइअ रे !२

सपनहु संगम पाओल रंग बढाओलरे !
से मोर बिहि विघटाओल निन्दओ हेराओल रे !३!

सुकवि विद्यापति गओल धनि धइरज धरु रे !
अचिरे मिलत तोर बालमु पुरत मनोरथ रे !४!

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सरसिज बिनु सर सर बिनु सरसिज...

सरसिज बिनु सर सर बिनु सरसिज, की सरसिज बिनु सूरे !
जौबन बिनु तन, तन बिनु जौबन की जौक पिअ दूरे !१!

सखि हे मोर बड दैब विरोधी !
मदन बोदन बड पिया मोर बोलछड, अबहु देहे परबोधी !२!

चौदिस भमर भम कुसुम-कुसुम रम, नीरसि भाजरि पीबे !
मंद पवन बह, पिक कुहु-कुहु कह, सुनि विरहिनि कइसे जीवे !३!

सिनेह अछत जत, हमे भेल न टुटत, बड बोल जत सबथीर !
अइसन के बोल दुहु निज सिम तेजि कहु, उछल पयोनिधि नीरा !४!

भनइ विद्यापति अरे रे कमलमुखि, गुनगाहक पिय तोरा !
राजा सिवसिंह रुपानरायन, रहजे एको नहि भोरा !५!

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