हम नहिं गौरी शिवके बिआहब...

हम नहिं गौरी शिवके बिआहब, मोरि गौरी रहति कुमारि गे माई !
भुत - प्रेत लै ऐलन बराती, मोर जिय गेल डराई गे माई !१!

गालो चुटकल मोछो पाकल, पैरो में बत्तीस बेमाय गे मई !
गौरी लए भागव गौरी लए परायब, गौरी लय जायव नइहर गे माई !२!

भनहिं विद्यापति - सुनू हे मनाइनि, इहो थिका त्रिभुवन नाथ !
कहत भिखारी दास दोऊ कर जैसी, बस बस होवे विवाह गे माई !३!

हम नहिं गौरी शिवके बिआहब, मोरि गौरी रहति कुमारि गे माई !
भुत - प्रेत लै ऐलन बराती, मोर जिय गेल डराई गे माई !४!

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