लोचन धाय फोघायल हरि नहिं आयल रे....
लोचन धाय फोघायल हरि नहिं आयल रे !
सिव-सिव जिव नहिं जाय आस अरुझायल रे !१!
मन कर तहाँ उडि जाइ जहाँ हरि पाइअ रे !
पेम-परसमनि-पानि आनि उर लाइअ रे !२
सपनहु संगम पाओल रंग बढाओलरे !
से मोर बिहि विघटाओल निन्दओ हेराओल रे !३!
सुकवि विद्यापति गओल धनि धइरज धरु रे !
अचिरे मिलत तोर बालमु पुरत मनोरथ रे !४!
सिव-सिव जिव नहिं जाय आस अरुझायल रे !१!
मन कर तहाँ उडि जाइ जहाँ हरि पाइअ रे !
पेम-परसमनि-पानि आनि उर लाइअ रे !२
सपनहु संगम पाओल रंग बढाओलरे !
से मोर बिहि विघटाओल निन्दओ हेराओल रे !३!
सुकवि विद्यापति गओल धनि धइरज धरु रे !
अचिरे मिलत तोर बालमु पुरत मनोरथ रे !४!
1 एक टिप्पणी दिअ।:
This is the precise weblog for anybody who needs to seek out out about this topic. You notice so much its almost arduous to argue with you. You positively put a brand new spin on a subject that's been written about for years. Nice stuff, simply nice!
एक टिप्पणी भेजें