आहे सखि आहे सखि लय जनि जाह...

आहे सखि आहे सखि लय जनि जाह !
हम अति बालिक आकुल नाह !१!

गोट-गोट सखि सब गेलि बहराय !
ब केबाड पहु देलन्हि लगाय !२!

ताहि अवसर कर धयलनि कंत !
चीर सम्हारइत जिब भेल अंत !३!

नहि नहि करिअ नयन ढर नीर !
कांच कमल भमरा झिकझोर !४!

जइसे डगमग नलिनिक नीर !
तइसे डगमग धनिक सरीर !५!

भन विद्यापति सुनु कविराज !
आगि जारि पुनि आमिक लाज !६!

0 एक टिप्पणी दिअ।:

एक टिप्पणी भेजें

  © Vidyapati Geet. All rights reserved. Blog Design By: Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP