आजु दोखिअ सखि बड़ अनमन सन...

आजु दोखिअ सखि बड़ अनमन सन, बदन मलिन भेल तारो !
मन्द वचन तोहि कओन कहल अछि, से न कहिअ किअ मारो !१!

आजुक रयनि सखि कठि बितल अछि, कान्ह रभस कर मंदा !
गुण अवगुण पहु एकओ न बुझलनि, राहु गरासल चंदा !२!

अधर सुखायल केस असझासल, धामे तिलक बहि गेला !
बारि विलासिनि केलि न जानथि, भाल अकण उड़ि गेला !३!

भनइ विद्यापति सुनु बर यौवति, ताहि कहब किअ बाधे !
जे किछु पहुँ देल आंचर बान्हि लेल, सखि सभ कर उपहासे !४!

0 एक टिप्पणी दिअ।:

एक टिप्पणी भेजें

  © Vidyapati Geet. All rights reserved. Blog Design By: Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP