हम नहिं आजु रहब एहि आँगन...

हम नहिं आजु रहब एहि आँगन जौँ बुढ़ होएता जमाय !!

एक तो बैरी भेल बिध विधाता, दोसर धिया केर बाप !
तेसर बैरी भेल नारद ब्रह्मण, जे बुढ़ आनला जमाय !१!

धोती लोटा पोथी पतरा, सेहो सब देवनी छिनाय !
जौँ किछु बजता नारद ब्रह्मण, दाढ़ी धय घिसीयाब !२!

अरिपन निपलन्ही पुरहर फोरलन्ही, फेकलन्ही बहुमुख दीप !
धिया लय मनाइनि मंदिर पैसली, केयो जुनि गायब गीत !३!

भनहिं विद्यापति - सुनू हे मनाइनि, इहो थिका त्रिभुवन नाथ !
शुभ शुभ कय गौरी विवाह, इहो वर लिखल ललाट !४!

0 एक टिप्पणी दिअ।:

एक टिप्पणी भेजें

  © Vidyapati Geet. All rights reserved. Blog Design By: Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP