चानन भेल विषम सर रे....

चानन भेल विषम सर रे, भुषन भेल भारी !
सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी !१!

एकसरि ठाठि कदम-तर रे, पछ हरेधि मुरारी !
हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी !२!

जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे !
चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत काह !३!

कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी !
आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु झटकारी !४!

0 एक टिप्पणी दिअ।:

एक टिप्पणी भेजें

  © Vidyapati Geet. All rights reserved. Blog Design By: Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP