गौरी के वर देखि बड़ दुःख भेल...

गौरी के वर देखि बड़ दुःख भेल, सखी बड़ दुःख भेल...

मन के मनोरथ मने रहि गेल, लैलो भिखारी पर सेहो बकलेल !
भोला के कतहुं जगत नाहीं साँक लेल, बरके जे देखि गायनि धुरि गेल!!

हमर गौरी नहिं छथि बकलेल, तिनका एहन बर कोना आनि गेल !
भनहिं विद्यापति बड़ दिन भेल, गौरी मंगन शिव आनन्द भेल !!

0 एक टिप्पणी दिअ।:

एक टिप्पणी भेजें

  © Vidyapati Geet. All rights reserved. Blog Design By: Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP